दोपहिया वाहन
- मोटर वाहन अधिनियम,1988 के अनुसार सभी वाहन मालिकों को मोटर बीमा पॉलिसी लेना अनिवार्य है।
- दुर्घटना जनित नुकसान या वाहन की चोरी से सुरक्षा
- शारीरिक चोट और /या संपत्ति के नुकसान से संबंधित तृतीय पक्ष कानूनी देयता के विरूद्ध सुरक्षा
- मालिक ड्राइवर/सवार के लिए व्यक्तिगत दुर्घटना कवर
देयता केवल पॉलिसी:
पॉलिसी निम्नलिखित की क्षतिपूर्ति करने के लिए वाहन के मालिक की कानूनी देयता को कवर करती है:
- किसी तृतीय पक्ष के व्यक्ति की मृत्यु या शारीरिक क्षति।
- तृतीय पक्ष की संपत्ति को नुकसान:
मृत्यु या चोट की हालत में देयता असीमित राशि के लिए कवर होती है। तृतीय पक्ष की संपत्ति के नुकसान के लिए देयता स्कूटर/मोटर साइकिलों के मामलों में रू. 1 लाख की कवर की जाती है।
पैकेज पॉलिसी :
केवल देयता के तहत कवरेज के अतिरिक्त यह पॉलिसी बीमाकृत वाहन एवं उसके सामानों को निम्नलिखित के कारण मो हुई हानि या क्षति को कवर करती है।:
- अग्नि,विस्फोट,प्रज्वलन या आकाशीय बिजली
- सेंधमारी, गृहभेदन या चोरी
- दंगा और हड़ताल
- दुर्भावनापूर्ण कृत्य
- आतंकवादी कृत्य
- भूकम्प (अग्नि एवं आघात) क्षति
- बाढ़, टायफून,हरीकेन,स्टॉर्म,टेम्पेस्ट,जलप्लावन,चक्रवात एवं ओलावृष्टि।
- दुर्घटना जनित बाहरी कारण
- सड़क,रेल,आंतरिक जलमार्ग,लिफ्ट,एलीवेटर या वायुमार्ग में परिवहन
- भूस्खलन/चट्टानों की स्खलन
पैकेज पॉलिसी के नवीकरण पर नो क्लेम डिस्काउंट उपलब्ध है जो निजी क्षति के प्रीमियम का 20% से 30% तक होता है और यह लगातार दावा मुक्त वर्षों की संख्या पर निर्भर करता है।
दावामुक्त वर्षों की संख्या | दिया गया एनसीबी |
0 | 0 |
1 | 20 |
2 | 25 |
3 | 35 |
4 | 45 |
5 या उससे अधिक | 50 |
दुर्घटना स्थल से वर्कशॉप तक टोविंग चार्जेज का भी पॉलिसी भुगतान करती है जिसकी अधिकतम सीमा स्कूटरों/मोटरोंसाइक्लस के लिए रू.300/- है। उच्चतर टोविंग चार्जेज का चयन करने की भी अनुमति है किंतु यह अतिरिक्त प्रीमियम के भुगतान के अधीन होगी।
अतिरिक्त प्रीमियम के भुगतान पर उपलब्ध ऐड ऑन कवर
- निल डेप्रिशिएशन
- दो पहिया वाहनों के लिए निल डेप्रिशिएशन प्लस
- इनवॉयस प्रोटेक्ट
- इंजन प्रोटेक्ट
- एनसीबी प्रोटेक्ट
अनिवार्य कटौतियां (प्रत्येक दावे के लिए बीमाधारक द्वारा राशि का वहन करना)
- रू.100/- दो पहिया वाहनों के लिए।
आंशिक हानि वाले दावों के लिए पार्ट्स पर डेप्रीशिएशन
- सभी रबर नायलॉन/ प्लास्टिक पार्ट्स, टायर्स व ट्यूब्स, बैट्रीज व एयर बैग्स के लिए डेप्रीशिएशन की दर - 50%
- सभी फाइबर ग्लास कंपोनेंट्स के लिए डेप्रीशिएशन की दर - 30%
- ग्लास से बने सभी पार्ट्स के लिए डेप्रीशिएशन की दर – शून्य
- पेंट की सामग्रियों के लिए डेप्रीशिएशन की दर – 50%
लकड़ी के पार्ट्स समेत सभी अन्य पार्ट्स के लिए डेप्रीशिएशन की दर निम्नलिखित अनुसूची के अनुसार होगी –
वाहन की उम्र | डेप्रीशिएशन का % |
---|---|
6 महीनों से अधिक नहीं | शून्य |
6 महीनों से अधिक किंतु 1 वर्ष से अधिक नहीं | 5% |
1 वर्ष से अधिक किंतु 2 वर्षों से अधिक नहीं | 10% |
2 वर्षों से अधिक किंतु 3 वर्षों से अधिक नहीं | 15% |
3 वर्षों से अधिक किंतु 4 वर्षों से अधिक नहीं | 25% |
4 वर्षों से अधिक किंतु 5 वर्षों से अधिक नहीं | 35% |
5 वर्षों से अधिक किंतु 10 वर्षों से अधिक नहीं | 40% |
10 वर्षों से अधिक | 50% |
- टूट फूट,ब्रेकडाउन
- परिणामी हानि
- अमान्य ड्राइविंग लाइसेंस के साथ ड्राइव करने पर या अल्कोहल के प्रभाव के कारण हुई हानि या
- युद्ध,गृह युद्ध आदि से संबंधित हानि
- संविदात्मक देयता के कारण उत्पन्न दावे,
वाहन का उपयोग परिसीमाओं के अनुसार उपयोग न होकर अन्यथा प्रयोग में लाया जा रहा हो ' (जैसे- टैक्सी के रूप में निजी कारों का उपयोग)
कोई दावा कैसे दायर करें?
किसी घटना के कारण पॉलिसी के अंतर्गत उत्पन्न दावा की स्थिति में निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए :
किसी दुर्घटना से वाहन को हुए नुकसान की स्थिति में :
चरण 1: पॉलिसी जारीकर्ता कार्यालय या निकटतम कार्यालय को तुरत लिखित सूचना।
चरण 2: वाहन को हुई किसी बड़े हानि की स्थिति में कंपनी द्वारा दुर्घटना स्थल के स्थन निरीक्षण की भी व्यवस्था की जाएगी।
चरण 3: एक दावा प्रपत्र प्राप्त करें एवं इसे समुचित रूप से भरकर निम्नलिखित के साथ जमा करें।
- रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की कॉपी
- दुर्घटना के समय गाड़ी चला रहे ड्राइवर के ड्राइविंग लाइसेंस की कॉपी
- मरम्मतकर्ता का स्टीमेट
- व्यावसायिक वाहनों के मामले में परमिट एवं फिटनेस सर्टिफिकेट की कॉपी
- IRDAI द्वारा लाइसेंस प्राप्त एवं बीमा कंपनी द्वारा नियुक्त सर्वेयर का सर्वेक्षण जब तक नहीं हो जाता तब तक वाहन की मरम्मत का कार्य आरंभ न करें।
वाहन के चोरी हो जाने के मामले में:
चरण 1: पुलिस थाने में तुरत एक एफ आई आर दायर करें।
चरण 2: तुरत पॉलिसी जारीकर्ता कार्यालय एवं संबंधित क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय को इसकी सूचना दे।
चरण 3: एक दावा प्रपत्र प्राप्त करें और इसे पूरी तरह भरकर जमा करें।
चरण 4: जैसे ही अंतिम पुलिस रिपोर्ट प्राप्त हो इसे जमा करें।
चरण 5: बीमा कंपनी द्वारा नियुक्त इन्वेस्टीगेटर को पूरा-पूरा सहयोग दें।
तृतीय पक्ष देयता दावे के मामले में :
- वह दुर्घटना जिससे किसी देयता का दावा उत्पन्न हो सकता है उसकी सूचना बीमा कंपनी को तुरत दें।
- कोर्ट से सम्मन प्राप्त होने पर उसे तुरत कंपनी के कार्यालय को भेजा जाए।
- रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेसं, एफ आई आर आदि की कॉपियों समेत पूरी तरह भरा हुआ दावा प्रपत्र जमा किया जाना चाहिए।